Thursday, July 23, 2015

कुछ ख्वाहिशों के दावेदार हम भी हैं

कुछ ख्वाहिशों के दावेदार हम भी हैं
वो चरागर हैं तो बिमार हम भी हैं ।

संम्भालते किसे तामाशाई बने है जो
भरि हैं महेफ़ील लाचार हम भी हैं ।