अब कहि से इस दिल पे करार आया है
वक्त ने हर हर्फ़को बारिकी से सम्झाया है ।
मुफलिसी-ए- लिबास और रुदाद सहाना
उससे ज्यादा तो वो आज मुस्कुराया है ।
वक्त ने हर हर्फ़को बारिकी से सम्झाया है ।
मुफलिसी-ए- लिबास और रुदाद सहाना
उससे ज्यादा तो वो आज मुस्कुराया है ।