Monday, June 17, 2013

कबिता जिंदगी

सामने आईना
आईने मे इक अक्स
मै या कोई और  ?
किसी कि क्यानभास की चित्र
कई बेरङ्ग रङ्गो का मिश्रण
इन्द्रधनुस कहलाता है जीवन
फिजाओँ में चमकता हैं सुन्हरा रङ्ग

खुश्बू फैल जाती है मुझ तक
एक जिंदगी सोकर इक जिंदगी जागना हैं फिर
कितनी अजीब बात हैं
दर्द नही होता है जख्मों में अब
चुभता नहीं है रूस्वाई,बेवफाई
जागकर निद से लिख हुई
कविता जिंदगी  

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