कुछ तो होगा बातों में सिर्फ कहावत कहाँ है
मोहब्बत में कभी किसिकी सियासत कहाँ है ।
वो झुकी हुई पलकें कँपकपाते हुए होठ
कुछ कह रही हैं जरुर शिकायत कहाँ है ।
कुछ उल्फत दुनिया करे और तोड़ भी दे
इश्क़ में दीवानगी हैं ये बगावत कहाँ है ।
दुआ माग रहे हो जीसकी सलामती के तुम
टुट चुकी रातभर में वो सलामत कहाँ है ।
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