इतनी बेढंग ये जिन्दगी क्यू हैं
आज भी अजनबी अजनबी क्यू है ।
दुनियाँ की चाहत तमन्ना है चाँद
फिर भी उदास उदास चाँदनी क्यू है ।
तितलियाँ मस्त है गुफ्तगू में फूलों से
हर तरफ बेगैरत बस आदमी क्यू है ।
बेवक्त ख्वाबों से झिंझोडकर हमे
वक्त हमे हि दिखाती ये बेदर्दी क्यू है ।
कभी ना निभाई वफा तुने ए दोस्त
दिल चहता तेरी ही सलामती क्यु है ।
मुद्धतों से है आना जाना इस बज्म में
लगती हर मुलाकात आखिरी क्यू है ।
आज भी अजनबी अजनबी क्यू है ।
दुनियाँ की चाहत तमन्ना है चाँद
फिर भी उदास उदास चाँदनी क्यू है ।
तितलियाँ मस्त है गुफ्तगू में फूलों से
हर तरफ बेगैरत बस आदमी क्यू है ।
बेवक्त ख्वाबों से झिंझोडकर हमे
वक्त हमे हि दिखाती ये बेदर्दी क्यू है ।
कभी ना निभाई वफा तुने ए दोस्त
दिल चहता तेरी ही सलामती क्यु है ।
मुद्धतों से है आना जाना इस बज्म में
लगती हर मुलाकात आखिरी क्यू है ।
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