Thursday, March 27, 2014

क्या क्या बहाने हैं शब की तनहाईयों का

क्या क्या बहाने हैं शब की तनहाईयों का
हम खुश हैं पाकर साथ परछाईयों का ।

माहिर हैं वो बातों से बात बनाए और निकले
फिर भी जिक्र आ जाए उन तमाशाईयों का ।


निकल चुके अब तो घर से हम ए राहवर
ना कोइ शिकायत ना गिला रूसवाईयों का ।

इश्क की आग मे जलकर बस खाक होना हैं
होता ही नहीं अब कोइ असर दवाईयों का ।

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