हमने तो खुद को कभी खोया हैं कभी पाया हैं
तुझको भी होगा पता इश्क में क्या क्या गवाया है ।
मुद्दत हो गई तेरे खबर से बेखबर है हम
फिर भी जब बात निकली है अपना बताया है ।
इल्जाम बहुत हैं हम पर खुद्गगर्ज होने का
जिसने कुछ तो ना पाया हमेसा लुटाया है ।
खुद को सन्नाटे में रखा था मिले कोई आहट
पर आज भी तेरी याद बडी खामोशी से आया है ।
तुझको भी होगा पता इश्क में क्या क्या गवाया है ।
मुद्दत हो गई तेरे खबर से बेखबर है हम
फिर भी जब बात निकली है अपना बताया है ।
इल्जाम बहुत हैं हम पर खुद्गगर्ज होने का
जिसने कुछ तो ना पाया हमेसा लुटाया है ।
खुद को सन्नाटे में रखा था मिले कोई आहट
पर आज भी तेरी याद बडी खामोशी से आया है ।
No comments:
Post a Comment