निर्मला खड्का
ना पुछो दिलमे उसके लिए क्या क्या सौगात रखते है
वक्त आए तो उसको उसी से चुराने की औकात रखते है ।
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जलाकर आए हैं हम दिल अपना
खुदा उसी से रोशन करें राहें तेरी !
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क्यु ना हम कुछ अजब सी बात करें
जो हमे भुल चुके है उन्हे ही याद करें !!
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वो सोया था बेखबर ख्वाबों को आगोश मे लिए
हम देखते रहे निद में उसके खलल ना पडे !!!
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गुमसुम आखें जब युही नम हो जाएँ
वो तेरी याद आने का सबब होता है !!
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ना पुछो दिलमे उसके लिए क्या क्या सौगात रखते है
वक्त आए तो उसको उसी से चुराने की औकात रखते है ।
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जलाकर आए हैं हम दिल अपना
खुदा उसी से रोशन करें राहें तेरी !
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क्यु ना हम कुछ अजब सी बात करें
जो हमे भुल चुके है उन्हे ही याद करें !!
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वो सोया था बेखबर ख्वाबों को आगोश मे लिए
हम देखते रहे निद में उसके खलल ना पडे !!!
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गुमसुम आखें जब युही नम हो जाएँ
वो तेरी याद आने का सबब होता है !!
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