Thursday, April 4, 2013

आँखो में किताब


समझो तो पढ लो आँखो मे किताब रखते हैं
अँधेरो से क्या डर दिल मे आफताब रखते है ।

आज भी नही है दो गज मिट्टी अपने नाम
सितारों पे घर बनालूँ, इक ख्वाब रखते है ।

खलता होगा खाली खाली सा जो है मकान मेरा
कुछ ना सहि जज्बातों का इन्कलाब रखते है ।

तेरे शेर से  नशा तो खुब होता है शायर
तेरे गम के लिए ही साथ मे शराब रखते है ।

फुर्सद मे है हम कर ले सवाल ए जिन्दगी
मौत को भी चुप करा दुँ ऐसा जवाब रखते है ।

निर्मलाखड्का

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